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शरीर के हर जोड़ दर्द का कारण यूरिक एसिड नहीं होता !

खरी खरी
खरी खरी
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यूरिक एसिड मेडिकल साइंस के सबसे बड़े खलनायकों में से एक माना जाता है . कई डॉक्टर यूरिक एसिड के भौकाल से मरीजों को डराते हैं . कमर में दर्द या जाँघों में सूजन , दोष यूरिक एसिड के मत्थे मढ़ा जाता है . दर्द का शिकार चाहे चार साल का बच्चा हो या चौबीस साल की औरत , सम्बन्ध यूरिक एसिड से ही जोड़ा जाता है .
यूरिक एसिड की मेडिकल साइंस में वही बेईज्ज़ती है जो भारतीय राजनीति में पाकिस्तान की है . भारत में हर कुख्यात घटना के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार माना जाता है . बदन में चाहे जहाँ दर्द हो डॉक्टर साहब यूरिक एसिड ज़रूर कराते हैं और फिर यूरिक एसिड पर दर्द का दोष मढ़ देते हैं . मरीज़ को नफरत करने की वजह मिल जाती है .
सवाल है कि जब यूरिक एसिड इतना बुरा है तो शरीर में उसका क्या काम ? यूरिक एसिड शरीर का कचरा है जिसको पेशाब के रास्ते बाहर निकाला जाता है . पक्षी और सरीसृप यूरिक एसिड को यूरिकेस की मदद से तोड़ कर एक दूसरे पदार्थ में बदल देते हैं . हम ऐसा नहीं कर पाते क्योंकि हमारे पास यूरिकेस नहीं होता . इसलिए हमारे शरीर में यूरिक एसिड मिलता है .
इस कचरे का काम शरीर में ऑक्सीजन की वजह से हो रहे नुकसान का प्रतिरोध है . जी हाँ , ऑक्सीजन भी हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती है . यूरिक एसिड एंटी ऑक्सीडेंट है .

लेकिन इस सबके बाद भी यूरिक एसिड मरीजों के जिस्म का “पाकिस्तान ” है . ऑक्सीजन लाख नुकसान करे लेकिन हमारी अपनी है , यूरिक एसिड लाख अच्छा करे तो भी बेगाना…:)

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